Navratri के 9 दिनों का क्या महत्व है? देवी दुर्गा के 9 रूप कौन कौन से हैं?

Navratri: आज हम जानेंगे नवरात्री के 9 दिनों का क्या महत्व होता है और माँ दुर्गा के 9 रूप क्या दर्शाते है। आपके मन में यह ख्याल भी जरूर आया होगा की नौ देवियों में सबसे बड़ी देवी कौन सी है? इसके साथ ही आपको नवदुर्गा (नवरात्रि) के 9 दिन कौन कौन सी माता के होते हैं जानने को मिलेगा।

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हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, यह नौ दिनों तक मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा की पूजा और भक्ति की जाती है। नवदुर्गा के 9 दिन बहुत ही पवित्र माने जाते है। आइये जानते है नवदुर्गा से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां जो की हर एक हिन्दू को पता होना चाहिए-

Table of Contents

Navratri क्या है

Navratri एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। इसे “नौ रातें” के रूप में भी जाना जाता है, और यह मां दुर्गा और उनकी विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित है।

नवरात्री के दौरान, लोग उपवास, पूजा और भव्य धूमधाम जैसे त्योहार मनाते हैं, जिसमें गरबा और दंडिया रास जैसे पारंपरिक नृत्य शामिल होते हैं। यह अच्छे के बुरे पर विजय और देवी की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है।

Navratri के 9 दिनों का क्या महत्व है

नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व और माँ दुर्गा के 9 रूपों के नाम निम्नलिखित है:

1. माता शैलपुत्री – Navratri के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है

यह देवी दुर्गा का ही एक रूप है. माता ने अपने इस रूप मे शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था. माता अपने इस रूप मे वृषभ पर विराजमान है. उनके एक हाथ मे त्रिशूल और दूसरे हाथ मे कमल का फूल है।

मान्यता यह है की माता दुर्गा के इस रूप की पूजा अच्छी सेहत के लिए विशेष लाभदायी है।

2. माता ब्रांहमचारिणी – दूसरा दिन माता ब्रहमचारिणी की पूजा की जाती है

माता ने अपने इस रूप मे भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था . देवी ने अपने इस रूप मे एक हाथ मे कमंडल और दूसरे हाथ मे जप की माला धारण किये हुये है।

इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाया जाता है तथा इसी का दान किया जाता है. माता के इस रूप का पूजन दीर्घ आयु प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

3. माता चंद्रघंटा – तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है

कहा जाता है की यह देवी का उग्र रूप है, परंतु फिर भी देवी के इस रूप से भक्तो को सभी कष्टो से मुक्ति मिलती है . माँ के इस रूप मे 10 हाथ है तथा सभी हाथो मे माँ ने शस्त्र धारण किए हुये है।

इन्हे देखकर ऐसा लगता है कि माँ यूध्द के लिए तैयार है।

4. माता कृषमांडा – चौथा दिन माता कृषमांडा की पूजा की जाती है

ऐसा कहा जाता है कि माता के इस रूप मे हसी से ब्रहमांड की शुरवात हुई थी. देवी के इस रूप मे 8 हाथ है और उन्होने अपने इन 8 हाथो मे कमंडल, धनुष बांड, कमल, अमृत कलश, चक्र तथा गदा लिए हुये है।

माता के आठवे हाथ मे इच्छा अनुसार वर देने वाली जप की माला विद्यमान है अर्थात यह माला माता के भक्तो को उनकी इच्छा अनुसार वरदान प्रदान करती है।

5. माता स्कंदमाता – पाचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा होती है

माता के इस रूप मे पूजन से उनके भक्तो को सारे पापो से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है . नवरात्रि के इस दिन माता स्कंदमता को अलसी नामक औषधि अर्पण करने से मौसम मे होने वाली बीमारी नहीं होती और इंसान स्वस्थ रहता है।

माता के इस रूप मे माता कमल पर विराजमान है. माता अपने इस रूप मे 4 भुजाओ वाली है वे अपने 2 हाथो मे कमल लिए हुये है, एक हाथ मे माला लिए हुये है तथा एक हाथ से भक्तो को आशीर्वाद दे रही है।

6. माता कात्यानि – छटे दिन माता कात्यानि की पूजा की जाती है

देवी के इस रूप को कत्यान ऋषि ने अपनी घोर तपस्या से प्राप्त किया था तथा देवी ने अपने इसी रूप मे महिशासुर का वध किया था. कहा जाता है की कृष्ण भगवान को अपने पति के रूप मे पाने के लिए गोपियो ने देवी के इसी रूप का पूजन किया था।

अगर कोई भी लड़की देवी के इसरूप की सच्चे मन से पूजा करे, तो उसके विवाह मे आने वाली सभी बधाये दूर होती है और उसे मनचाहा वर मिलता है।

7. माता कालरात्री – सातवे दिन देवी कालरात्री की पूजा जाती है

परंतु कई लोग देवी कालरात्रि को कालिका देवी समझ लेते है पर ऐसा नहीं है दोनों ही देवी के अलग अलग रूप है . यह देवी का बहुत ही भयानक रूप है देवी अपने इस रूप मे एक हाथ मे त्रिशूल और एक हाथ मे खड़ग लिए हुये है।

देवी ने अपने गले मे भी खडगो की माला पहनी हुई है . देवी के इस रूप मे पूजन से सभी विध्वंस शक्तियों का नाश होता है।

8. माता महागौरी – आठवे दिन माता गौरी की पूजा का विधान है

यह माता की बहुत ही सौम्य, सरल तथा सुंदर रूप है. माता अपने इस रूप मे वृषभ पर विराजमान है. उन्होने हाथो मे त्रिशूल और डमरू लिया हुआ है तथा अन्य 2 हाथो से वह अपने भक्तो को वरदान और अभयदान दे रही हैं।

मान्यता यह है की माता के इस रूप मे भगवान शंकर ने माता का गंगाजल से अभिषेक किया था, इसलिए माता को यह गौर वर्ण प्राप्त हुआ।

9. माता सिध्दीदात्री – नौवे दिन देवी सिध्दीदात्री की पूजा की जाती है

इन्ही के पूजन से नवदुर्गा की पूजा सम्पन्न होती है तथा भक्तो को समस्त सिद्धधी प्राप्त होती है . माता के इस रूप मे माता कमल पर विराजमान है. पर कहा जाता है कि माता का वाहन सिह है।

इस रूप मे माता के 4 हाथ है इन 4 हाथो मे माता ने शंख, चक्र, गदा तथा कमल लिया हुआ है।

नौ देवियों में सबसे बड़ी देवी कौन सी है?

नौ देवियों में सबसे बड़ी देवी कौन सी होती है, यह विभिन्न परंपराओं और क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में, देवी दुर्गा को नौ देवियों में सबसे महत्त्वपूर्ण देवी माना जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों के उपासना के दौरान, नौ दिव्य रूपों की पूजा की जाती है, और इनमें से एक रूप मां दुर्गा का होता है, हिन्दुओं में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवी माना जाता है।

वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है।

इसलिए, सामान्यत: देवी दुर्गा को नौ देवियों में सबसे बड़ी माना जाता है

नौ देवियों में सबसे छोटी देवी कौन है?

मां दुर्गा के नौ रूपों में, सबसे छोटी देवी का नाम मां सिद्धिदात्री है। मां सिद्धिदात्री को नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन पूजा जाता है। उन्हें छोटी देवी के रूप में माना जाता है, और इस दिन की पूजा के बाद नवरात्रि का उपवास समाप्त होता है।

सिद्धिदात्री का नाम उनकी शक्तियों को दर्शाता है, वे भक्तों को आस्था और सिद्धिया प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। इस दिन की पूजा के दौरान, भक्त इन्हें अद्भुत और शक्तिशाली देवी के रूप में मानते हैं और उनसे अपने जीवन में सिद्धियों की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

नवरात्रि के 9 दिन कौन कौन सी माता के होते हैं?

अगर आप जानना चाहते है नवरात्रि के 9 देवता कौन से हैं? तो आप सभी 9 देवी माताओ के नाम नीचे पढ़ सकते है-

नवरात्रि के 9 दिनमां दुर्गा के 9 रूप
प्रथम रूपमाता शैलपुत्री
दूसरा रूपमाता ब्रांहमचारिणी
तीसरा रूपमाता चंद्रघंटा
चौथा रूपमाता कृषमांडा
पाचवा रूपमाता स्कंदमाता
छठवा रूपमाता कात्यानि
सातवा रूपमाता कालरात्री
आठवा रूपमाता महागौरी
नौवा रूपमाता सिध्दीदात्री

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निष्कर्ष

हम आशा करते है की हमने आपको नवदुर्गा (नवरात्री) से सम्बंधित सारी जानकारी दे दी होगी, आप माँ दुर्गा के 9 रूपों के बारे में भी समझ गए होगे। Navratri के 9 दिनों का क्या महत्व है?, देवी दुर्गा के 9 रूप कौन कौन से हैं?, नौ देवियों में सबसे बड़ी देवी कौन सी है?, नौ देवियों में सबसे छोटी देवी कौन है? इन सभी सवालों के जवाब आपको मिल गए होगे।

अगर फिर भी कोई जानकारी चाहिए तो आप कमेंट में पूछ सकते है या फिर हमें कोई सलाह दे सकते है।

!! जय माता दी !!

FAQs.

Q. नवरात्रि के 9 दिनों का क्या महत्व है?

Ans- हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, यह नौ दिनों तक मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा की पूजा और भक्ति की जाती है। नवदुर्गा के 9 दिन बहुत ही पवित्र माने जाते है।

Q. नौ देवियों में सबसे बड़ी देवी कौन सी है?

Ans- नौ देवियों में सबसे बड़ी देवी कौन सी होती है, यह विभिन्न परंपराओं और क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में, देवी दुर्गा को नौ देवियों में सबसे महत्त्वपूर्ण देवी माना जाता है।

इसलिए, सामान्यत: देवी दुर्गा को नौ देवियों में सबसे बड़ी माना जाता है

Q. नौ देवियों में सबसे छोटी देवी कौन है?

Ans- मां दुर्गा के नौ रूपों में, सबसे छोटी देवी का नाम मां सिद्धिदात्री है। मां सिद्धिदात्री को नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन पूजा जाता है। उन्हें छोटी देवी के रूप में माना जाता है, और इस दिन की पूजा के बाद नवरात्रि का उपवास समाप्त होता है।

Q. नवरात्रि के 9 दिन कौन कौन सी माता के होते हैं?

Ans- मां दुर्गा के सभी 9 रूपो के नाम- 1. माता शैलपुत्री, 2.माता ब्रांहमचारिणी, 3.माता चंद्रघंटा, 4.माता कृषमांडा, 5.माता स्कंदमाता, 6.माता कात्यानि, 7.माता कालरात्री, 8.माता महागौरी, 9.माता सिध्दीदात्री

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