प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा का होती है. मान्यता यह है की इस रूप की पूजा अच्छी सेहत के लिए लाभदायी है.
माता ने अपने इस रूप मे भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था. माता के इस रूप का पूजन दीर्घ आयु के लिए किया जाता है.
माता चंद्रघंटा – तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है.
कहा जाता है की यह देवी का उग्र रूप है, परंतु फिर भी देवी के इस रूप से भक्तो को सभी कष्टो से मुक्ति मिलती है .
माता कृषमांडा– चौथा दिन होता है देवी कृषमांडा की पूजा की जाती है
ऐसा कहा जाता है कि माता के इस रूप मे हसी से ब्रहमांड की शुरवात हुई थी.
माता स्कंदमाता – नवदुर्गा मे पाचवे दिन देवी के इसी रूप की पूजा होती है.
माता के इस रूप मे पूजन से उनके भक्तो को सारे पापो से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है
माता कात्यानि – छटे दिन देवी के इस रूप की पूजा की जाती है
देवी ने अपने इसी रूप मे महिशासुर का वध किया था. अगर कोई भी लड़की देवी के इसरूप की सच्चे मन से पूजा करे, तो उसके विवाह मे आने वाली सभी बधाये दूर होती है और उसे मनचाहा वर मिलता है.
माता कालरात्री – सातवे दिन देवी के इस रूप की पूजा जाती है
कई लोग देवी कालरात्रि को कालिका देवी समझ लेते है पर ऐसा नहीं है दोनों ही देवी के अलग अलग रूप है . यह देवी का बहुत ही भयानक रूप है
माता महागौरी – आठवे दिन माता गौरी की पूजा का विधान है
मान्यता यह है की माता के इस रूप मे भगवान शंकर ने माता का गंगाजल से अभिषेक किया था, इसलिए माता को यह गौर वर्ण प्राप्त हुआ.
इन्ही के पूजन से नवदुर्गा की पूजा सम्पन्न होती है तथा भक्तो को समस्त सिद्धधी प्राप्त होती है